सरकारी नौकरियों और शिक्षण में आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में मराठा क्रांति मोर्चा ने मराठा आंदोलन शुरू कर दिया है। मराठा आंदोलन शब्द से आप लोग भली भाति रूबरू होंगे और इससे पहले भी आपने मराठा आंदोलन शब्द सुना होगा। मराठा आंदोलन करीब एक दशक पुराना है। इस समुदाय के लोग नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहे है।

 
राज्य में 30% आबादी मराठों की है। इनका कहना है कि इनके समुदाय का एक छोटा तबका ही सत्ता और समाज में ऊंची पैठ रखता है। ज्यादातर लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं। 2014 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों मे 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था।

 
लेकिन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी और कहा था कि कुल आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि मराठा समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का शिकार है। कोर्ट का ये भी कहना था कि मराठा समुदाय के पिछड़ेपन के कोई सबूत नहीं मिलते हैं। मराठा आंदोलन काफी दिनो से शांति पूर्वक चल रहा था।

 
लेकिन हालहि में हुई कुछ घटनाओं ने इस शांति पूर्वक आंदोलन को उग्र बना दिया। प्रदर्शनकारियों ने मुंबई, ठाणे और आसपास के इलाकों में बसों में तोड़फोड़ की और उसमें आग लगा दी। कई जगहों पर पत्थरबाजी हुई। लोकल ट्रेनों को भी रोक दिया। राज्य के कई हिस्सों में हिंसा जारी रही। जिससे मराठा क्रांति मोर्चा ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी। उनका कहना था कि वह किसी को परेशान नही करना चाहते और आंदलोन की बढ़ती उग्रता को देखते हुए उन्होंने इस आंदोलन को वापस लिया है।
(क्या आरक्षण पाने के लिए प्रदर्शनकारियों ने जो किया वह ठीक था या गलत अपने विचार और सुझाव हमें कमैंट बॉक्स में जरूर बताएं।)